Jharkhand 1932 khatiyan:झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में कैबिनेट ने बुधवार को दो ऐतिहासिक और अहम फैसले लिए.

पहली है झारखंड में 1932 की खतियान (jharkhand ka 1932 khatiyan kya hai)आधारित स्थानीय नीति और दूसरी है ओबीसी, एसटी और एससी के आरक्षण में बढ़ोतरी। आरक्षण बढ़ाने और लोकल की पहचान संबंधी बिल अब विधानसभा की मंजूरी के बाद केंद्र को भेजा जाएगा। केंद्र से दोनों विधेयकों को नौवीं अनुसूची में शामिल करने का अनुरोध किया जाएगा। झारखंड में यह नौवीं अनुसूची में शामिल होने के बाद ही लागू होगा। बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में कुल 43 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई।
स्थानीय नियोजन नीतिका आधार होगा’ 32 खतियान
रांची:मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में झारखंड में स्थानीय निवासी की परिभाषा, पहचान एवं परिणामी लाभों के लिए विधेयक 2022 के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई(1932 ka khatiyan jharkhand)। इसके तहत जिनके पूर्वजों का नाम 1932 के सर्वे खतियान में है, उन्हें ही स्थानीय माना जाएगा। वहीं भूमिहीन या वैसे लोग जिनका खतियान पठित नहीं है, उनके लिए ग्रामसभा से स्थानीयता की पहचान होगी। राज्य में लंबे अरसे से 1932 के खतियान पठित नहीं है, उनके लिए ग्रामसभा से स्थानीयता की पहचान होगी। राज्य में लंबे अरसे से 1932 के खतियान आधारित स्थानीय व नियोजन नीति लागू करनेकी मांग हो रही थी।
बिस के विशेष सत्र में कराया जाएगा पारित:अब इस विधेयक को विधानसभा में पारित कराने के बाद नौवी अनुसूची में शामिल करने के लिए केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। सरकार अब इस विधेयक को पारित कराने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की तैयारी में जुट गई है। सूत्रों के अनुसार अगले हफ्ते विशेष सत्र आहूत करने की तैयारी की जा रही है।
इस विशेष सत्र में
1932 खतियान आधारित स्थानीयता नौति संबंधित विधेयक औरएसटी एससी(Jharkhand 1932 khatiyan), ओबीसी का आरक्षण बढ़ाने संबंधित विधेयक को पारित कराया जाएगा। विधानसभा से पारित कराने के बाद दोनों विधेयकों को राज्यपाल के माध्यम से केंद्र को भेजा जाएगा। भाजपा ने 1985 को कटऑफ
माना था: बता दें कि इससे पहले भाजपा की रघुवर सरकार ने 2016 में स्थानीयता नीति तय करने के लिए 1985 को कट ऑफ डेट माना था। इसे ही भाजपा सरकार ने लागू किया था।
हर चेहरे पर खुशी से मिल रही ताकत: हेमंत
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि उनकी सरकार सभी वर्ग के लोगों के लिए संवेदनशील है। सरकार ने कई ऐतिहासिक निर्णय लिए हैं। चाहे वह 1932 खतियान लागू करने का हो या फिर विभिन्न वर्गों का
आरक्षण बढ़ाने का निर्णय हो।
सरकारी कर्मचारी, आम नागरिक, शिक्षक, सिपाही, आंगनबाड़ी सहायिका, मजदूर, किसान बेरोजगार सभी के चेहरों पर सरकार के फैसलों से (Jharkhand 1932 khatiyan)खुशी दिख रही है। उन्होंने कहा कि लोगों के चेहरे पर खुशी देख उन्हें ऐसे ऐतिहासिक निर्णय लेने और काम करने की ताकत मिलती है। ये बातें उन्होंने कैबिनेट के फैसले के बाद उनके अभिनंदन में जुटे लोगों को संबोधित करते हुए कही।सीएम ने कहा कि आज के निर्णयों को भी लोगों ने सराहाहै। फैसले की जानकारी मिलने के क्षण भर में ही काफी संख्या में लोग एकत्रित हो गए हैं। यह प्रमाणित करता है कि सरकार के हर सांस की आहट राज्य के कोने- कोने तक पहुंच रही है।
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ओबीसी 27, एससी 12व एसटी को 28% आरक्षण
सरकार की कैबिनेट ने बुधवार को राज्य में पदों व सेवाओं की रिक्तियों (Jharkhand 1932 khatiyan)में आरक्षण अधिनियम 2001 में संशोधन का फैसला लिया। राज्य की सेवाओं में कुल आरक्षण सीमा अब 50 प्रतिशत से बढ़कर 77 प्रतिशत होगी। इस बैठक में कैबिनेट ने ओबीसी, एससी और एसटी के आरक्षण को बढ़ाने संबंधी विधेयक के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।
मंत्रिपरिषद ने अनुसूचित जाति को 12 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति को 28 प्रतिशत, ओबीसी एनेक्स्बर-1 को 15, ओबीसी एनेक्स्चर-2 को 12 प्रतिशत और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण को मंजूरी दी है। पहले राज्य में अनुसूचित जनजाति (एसटी) को 26 प्रतिशत का आरक्षण था। इनमें दो प्रतिशत बढ़ाने का प्रस्ताव है। अनुसूचित जाति को 10 प्रतिशत आरक्षण अभी लागू है, इन्हें 12 प्रतिशत करने का प्रस्ताव है। पिछड़ी जाति एनेक्स्चर एक व दो को मिलाकर 2.7 प्रतिशत तथा आर्थिक रूप से पिछड़े को 10% आरक्षण का प्रस्ताव है।
पांच प्रमुख बातें
- कहा- हमारी सरकार मजबूत इसे कोई हिला नहीं सकता
- हमारी सरकार राज्य में सभी वर्गों के साथ करेगी न्याय
- राज्य के वातावारण को दूषित करने के प्रयास में जुटा है विपक्ष
- राज्य में हर काम को समय से पूरी कार्ययोजना के साथ पूरा करेंगे
- उलझी हुई चीजों को सुलझाकर विकास की गति को करेंगे तेज
jharkhand ka 1932 khatiyan kya hai:आपके सवालों के जवाब-FAQ’S
क्या मैं झारखंड का स्थानीय निवासी हूं?
1932 के खतियान में आपका आपके वंशजों का नाम है तो आप झारखंड के स्थानीय निवासी कहलाएंगे।
मेरे दादा, पिता लंबे समय से झारखंड में रह रहे हैं, पर हमारे पास कोई जमीन नहीं है, तो क्या मैं झारखंडी हूँ?
नहीं माने जा सकते।
मेरे पूर्वज और मैं खुद झारखंडमें पैदा हुआ हूं और जमीन भी हैतो क्या मैं झारखंड का स्थानीय निवासी नहीं कहलाऊंगा?
झारखंड में जन्म लेने के बावजूद आप यहा के स्थानीय निवासी नहीं कहलाएंगे। 1932 के खतियान में पूर्वजों का नाम है तभी आप स्थानीय निवासी हैं।
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